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जेवर एयरपोर्ट के लिए अब इन 14 गांवों की जमीन लेगी सरकार, कहां-कितनी जमीन का होगा अधिग्रहण; बनेंगे 3 रनवे
जेवर एयरपोर्ट के लिए अब इन 14 गांवों की जमीन लेगी सरकार, कहां-कितनी जमीन का होगा अधिग्रहण; बनेंगे 3 रनवे
जेवर एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे चरण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया एक साथ शुरू कर दी गई है। 14 गांवों की 2053 हेक्टेयर जमीन का सरकार जल्द अधिग्रहण करने जा रही है। इसमें तीन रनवे बनेंगे।
जेवर एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे चरण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया एक साथ शुरू कर दी गई है। 14 गांवों की 2053 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें तीन रनवे बनेंगे। सबसे पहले भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन में उचित मुआवजा के लिए सामाजिक समाघात निर्धारण (एसआईए) किया जाएगा। एसआईए का काम जीबीयू 30 अगस्त तक पूरा करेगा।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर परियोजना के लिए चार चरणों में जमीन खरीदने की योजना थी। पहले चरण में 1334 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हुआ। दूसरे चरण के लिए 1365 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। अब तीसरे और चौथे चरण के लिए एक साथ 2053 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
नागरिक उड्डयन विभाग के प्रमुख सचिव एसपी गोयल ने सोशल इंपैक्ट असेसमेंट (एसआईए) के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें प्रभावित किसानों से बात करके भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन और मुआवजे के बारे में बताया जाता है। इस अध्ययन के लिए गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) का चयन किया गया है। इसके पहले दो चरणों के लिए एसआईए जीबीयू ने ही किया है। 30 अगस्त तक यह काम पूरा करना होगा।
पूरी हो जाएगी एविएशन हब की जमीन 14 गांवों की 2053 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। इसमें करीब 1888 हेक्टेयर जमीन किसानों की है। करीब 165 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। इस जमीन पर तीन रनवे बनाए जाने हैं। इस जमीन अधिग्रहण और विस्थापन में करीब 15000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस खरीद के बाद यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में एविएशन हब के लिए तय की पूरी जमीन नागरिक उड‘डयन विभाग के पास आ जाएगी।
इस तरह मूर्त रूप लेगी परियोजना जेवर एयरपोर्ट देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। यह परियोजना 2070 तक यात्रियों का बोझ उठा सकेगी। तब एयरपोर्ट की क्षमता सालाना 22.5 करोड़ यात्रियों की हो जाएगी। जेवर एयरपोर्ट का पहला चरण 1334 हेक्टेयर में बनाया जा रहा है। पहले चरण में करीब 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें दो रनवे बनेंगे। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार रनवे, टर्मिनल बिल्डिंग और एटीसी बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा है। दूसरे चरण के लिए जिला प्रशासन जमीन अधिग्रहण कर रहा है। 1365 हेक्टेयर जमीन के लिए किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है। इसमें एक रनवे और एमआरओ हब विकसित किया जाएगा। अधिग्रहीत की जाने वाली 2053 हेक्टेयर जमीन में तीन रनवे बनाए जाएंगे।
टेंडर जल्द निकलेंगे:
दूसरे चरण की 1365 हेक्टेयर जमीन पर एमआरओ (मेंटीनेंस, रिपेयरिंग एंड ओवरहालिंग) हब विकसित होगा। यह देश का सबसे बड़ा एमआरओ हब होगा। इसके विकास के लिए बहुत जल्द कंपनी का चयन होगा। इसके लिए टेंडर निकालेंगे। यहां पर एविएशन हब भी विकसित होगा। विमान इंजनों के पाट‘र्स भी बनने लगेंगे। विमान की मशीनरी बनाने वाली बड़ी कंपनियों को यहां पर लाने की योजना है। यहां विमानों की मरम्मत से लेकर उनके पाट‘र्स तक बनाने का काम होगा।
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा कि जेवर एयरपोर्ट के दूसरे और तीसरे चरण की 2053 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के लिए एसआईए 30 अगस्त तक हो जाएगा। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय एसआईए करेगा। इसमें तीन रनवे बनेंगे।
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